Friday, August 31, 2012
murli
Murli of September 1,2012
[01-09-2012]
मुरली सार:- '' मीठे बच्चे - बाप है गरीब-निवाज़ , तुम गरीब बच्चे ही बाप से ज्ञान की मुट्ठी ले साहूकार बनते हो , बाप तुम्हें आप समान बनाते हैं ''
प्रश्न: असुरों के विघ्न जो गाये हुए हैं वह इस रूद्र यज्ञ में कैसे पड़ते रहते हैं ?
उत्तर: मनुष्य तो समझते हैं असुरों ने शायद यज्ञ में गोबर आदि का किचड़ा डाला होगा-परन्तु ऐसा नहीं है। यहाँ जब किसी बच्चे को अहंकार आता है , कोई ग्रहचारी बैठती है तो जैसे किचड़ा बरसने लगता है , क्रोध में आकर मुख से जो फालतू बोल बोलते हैं , यही इस रूद्र यज्ञमें बहुत बड़ा विघ्न डालते हैं। कई बच्चे संगदोष में आकर अपना खाना खराब कर देते हैं। माया थप्पड़ मार इनसालवेन्ट बना देती है।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) पहला अवगुण जो देह-अभिमान का है , उसे निकालकर पूरा-पूरा देही-अभिमानी बनना है।
2) अविनाशी ज्ञान धन जो बाप से मिल रहा है , उसका दान करना है। बाप समान निरहंकारी बनना है। मुख से रत्न निकालने हैं। ईविल बातें नहीं सुननी है।
वरदान: अकालतख्त पर बैठकर कर्मेन्द्रियोंसे सदा श्रेष्ठ कर्म कराने वाले कर्मयोगी भव
कर्मयोगी वह है जो अकाल तख्तनशीन अर्थात् स्वराज्य अधिकारी और बाप के वर्से के राज्य-भाग्य अधिकारी है। जो सदा अकाल तख्त पर बैठकर कर्म करते हैं , उनके कर्म श्रेष्ठ होते हैंक्योंकि सभी कर्मेन्द्रियां लॉ और ऑर्डर पर रहती हैं। अगर कोई तख्त पर ठीक न हो तो लॉ और ऑर्डर चल नहीं सकता। तो तख्तनशीन आत्मा सदा यथार्थ कर्म और यथार्थकर्म का प्रत्यक्षफल खाने वाली होती है , उसेखुशी भी मिलती है तो शक्ति भी मिलती है।
स्लोगन: ब्रह्मा बाप के प्यारे वह हैं जिनका ब्राह्मण कल्चर से प्यार है।
Essence: Sweet children, the Father is the Lord of the Poor. It is only you poor children who take a handful of knowledge from the Father and become wealthy. He makes you equal to Himself.
Question: How were the obstacles to the sacrificial of Rudra that have been remembered created by devils?
Answer: Human beings think that perhaps devils put allsorts of rubbish and cow dung etc. in the sacrificial fire, but it wasn’t like that. When a child here has ego or there are bad omens, it is as though rubbish is being thrown. When they become angry and speak useless things, these are the things that create thebiggest obstacles in this sacrificial fire of Rudra. Some childrenkeep bad company and make their lives worthless. Maya slaps them hard and makes them insolvent.
Essence for dharna:
1. Remove the foremost defect of body consciousness and become completely soul conscious.
2. Donate the imperishable jewels of knowledge you receive from the Father. Becomeas egoless as the Father and only allow jewels of knowledge to emerge through your lips. Donot listen to anything evil.
Blessing: May you be a karma yogi who is seated on the immortal throne and who always performs elevated actions through the physical senses.
A karma yogi is one who is seated on the immortal throne, that is, one who is a master of the self and who has a right to the Father’s inheritance of the fortune of the kingdom. The actionsof those who constantly perform actions while seated on the immortal throne are elevated because all their physical senses workunder their law and order. If someone is not properly seated on the throne, there cannot be law and order. A soul seated on the throne alwaysperforms accurate actions and eats the instant fruit of accurate actions. Such a soul receives happiness as well as power.
Slogan: Those who love the Brahmin culture are loved by Father Brahma.
Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
September 1, 2012:
हम आत्माएँ, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी हैं ...
We, the souls, are incorporeal, viceless and egoless...
Hum atmaayen, niraakaari, nirvikaari, nirhankaari hain...
हम आत्माएँ, देह सहित देह का भान, साधन, सम्बन्ध, सम्पर्क, वस्तु, व्यक्ति, वैभव को त्याग कर एक बाप की ही याद में रहनेवाले, स्व राज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी हैं... अकाल तख्त नशीन, अर्थार्त स्व राज्य अधिकारी और बाप के वर्से के राज्य भाग्य अधिकारी कर्मयोगी हैं...सदा अकाल तख्त पर बैठकर कर्मेन्द्रियों कोलॉ एंड ऑर्डर में रखनेवाले, श्रेष्ठ और यथार्थ कर्म कर खुशी और शक्ति का प्रत्यक्ष फल पानेवाले, ब्राह्मण कल्चर को प्यार करनेवाले, ब्रह्मा बाप के प्यारे हैं...
मु रली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें बेहद का समाचार सुनाते हैं, तुम अभी स्वदर्शन चक्रधारी बने हो, तुम्हें 84 जन्मों की स्मृति में रहना है और सबको यह स्मृति दिलानी है'' प्रश्न: शिवबाबा का पहला बच्चा ब्रह्मा को कहेंगे, विष्णु को नहीं - क्यों? उत्तर: क्योंकि शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण सम्प्रदाय रचते हैं। अगर विष्णु को बच्चा कहें तोउनसे भी सम्प्रदाय पैदा होनी चाहिए। परन्तु उनसे कोई सम्प्रदाय होती नहीं। विष्णु को कोई मम्मा बाबा भी नहीं कहेंगे। वह जब लक्ष्मी-नारायण के रूप में महाराजा महारानी हैं, तो उनको अपना बच्चा ही मम्मा बाबा कहते। ब्रह्मा से तो ब्राह्मण सम्प्रदाय पैदा होतेहैं। गीत:- तुम्हीं हो माता पिता...धारणा के लिए मुख्य सार: 1) ऊंची कमाई करने के लिए बुद्धि का योग और सबसे तोड़ एक बाप से जोड़ना है। सच्चे बाप को याद कर सचखण्ड का मालिक बनना है। 2) जैसे ब्रह्मा बाप ज्ञान को धारण कर सम्पूर्ण बनते हैं ऐसे हीबाप समान सम्पूर्ण बनना है। वरदान: ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल सबूत देने वाले सपूत और समान भव यदि कहते हो कि ब्रह्मा बाप से हमारा बहुत प्यार है तो प्यार की निशानी है जिससे बाप का प्यार रहाउससे प्यार हो। जो भी कर्म करो, कर्म के पहले, बोल के पहले, संकल्प के पहले चेक करो कि यह ब्रह्मा बाप को प्रिय है? ब्रह्मा बाप की विशेषता विशेष यही रही-जो सोचा वहकिया, जो कहा वहकिया। आपोजीशन होते भी सदा अपनी पोजीशन पर सेट रहे, तो प्यार का प्रैक्टिकल सबूतदेना अर्थात् फालो फादर कर सपूत और समान बनना। स्लोगन: खुशनसीब आत्मा वह है जिसके संकल्प में भी दु:ख की लहर नहीं आती। |
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Thursday, August 30, 2012
Wednesday, August 29, 2012
MURLI
30-08-12 Hindi
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम इस बेहद लीला रूपी नाटक को जानते हो, तुम हो हीरो पार्टधारी तुम्हें बाप ने आकर अभी जागृत किया है''
प्रश्न: बाप का फरमान कौन सा है? जिसे पालन करने से विकारों की पीड़ा से बच सकते हैं?
उत्तर: बाप का फरमान है - पहले 7 रोज़ भट्ठी में बैठो। तुम बच्चों के पास जब कोई आत्मा 5 विकारों से पीड़ित आती है तो उसे बोलो कि 7 रोज़ का टाइम चाहिए। कम से कम 7 रोज़दो तो तुम्हें हम समझायें कि 5 विकारों की बीमारी कैसे दूर हो सकती है। जास्ती प्रश्न-उत्तर करने वालों को तुम बोल सकते हो कि पहले 7 रोज़ का कोर्स करो।
गीत:- ओम् नमो शिवाए....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है। ड्रामा को साक्षी हो देखना है। कभी भी अपना रजिस्टर खराब नहीं करना है।
2) कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने केलिए याद में रहने का पूरा पुरूषार्थ करना है। सच्चे दिल से बाप को याद करना है। अपनी स्थिति का टैम्प्रेचर अपने आप देखना है।
वरदान: हर सेकण्ड, हर खजाने को सफलकर सफलता की खुशी अनुभव करने वालेसफलतामूर्त भव
सफलता मूर्त बनने का विशेष साधन है-हर सेकण्ड को, हर श्वांस को, हर खजाने को सफल करना। यदि संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सर्व प्रकार की सफलता का अनुभव करना चाहते हो तो सफल करते जाओ, व्यर्थ नहीं जाये। चाहे स्व के प्रति सफल करो, चाहे और आत्माओं के प्रति सफल करो तो आटोमेटिकली सफलता की खुशी अनुभव करते रहेंगे क्योंकि सफल करना अर्थात् वर्तमान में सफलता प्राप्त करना और भविष्य के लिए जमा करना।
स्लोगन: जब संकल्प में भी कोई आकर्षण आकर्षित न करे तब कहेंगे सम्पूर्णता की समीपता।
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BRAHMAKUMARIES: राजयोग प्रदर्शनी
BK STUDY POINT BRAHMAKUMARIES: राजयोग प्रदर्शनी: मनुष्य अपने जीवन में कई पहेलियाँ हल करते है और उसके फलस्वरूप इनाम पते है | परन्तु इस छोटी-सी पहेली का हल कोई नहीं जानता कि – “मैं कौन हूँ...
Tuesday, August 28, 2012
मुरलि सार
29-08-12 प्रात:मुरली ओम् शान्त ''बापदादा'' मधुबन
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंअब लाइट हाउस बनना है, तुम्हारी एक आंख में मुक्तिधाम, दूसरी आंख में जीवन मुक्तिधाम है, तुम सबको रास्ता बताते रहो''
प्रश्न: अविनाशी पद का खाता जमा होता रहे, उसकी विधि क्या है?
उत्तर: सदा बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता रहे। चलते-फिरते अपना शान्तिधाम और सुखधाम याद रहे तो एक तरफ विकर्म विनाश होंगे दूसरे तरफ अविनाशी पद का खाता भी जमा होता जायेगा। बाप कहते हैं तुमको लाइट हाउस बनना है एक आंख में शान्तिधाम, दूसरी आंख में सुखधाम रहे।
गीत:- जाग सजनियां जाग...
Video song: http:// www.youtube.com/ watch?v=1in32E1i GJQ&feature=you tube_gdata_play er
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बाप का व पढ़ाई का कदर रखना है। समय प्रति समय स्वयं को रिफ्रेश करने की युक्तियां निकालनी है। बहुतों के कल्याण के निमित्त बनना है।
2) आपस में ज्ञान की ही बातें करनीहैं। क्रोध का अंश भी निकाल देना है। कोई कडुवा शब्द बोले तो सुना न सुना कर देना है।
वरदान: अपने देवताई संस्कारों को इमर्ज कर दिव्यता का अनुभव करने वाले व्यर्थ से इनोसेंट, अविद्या स्वरूप भव
जब आप बच्चे अपने सतयुगी राज्य में थे तो व्यर्थ वा माया से इनोसेंट थे इसलिए देवताओं को सेंट वा महान आत्मा कहते हैं। तो अपने वही संस्कार इमर्ज कर, व्यर्थ के अविद्या स्वरूप बनो। समय, श्वांस, बोल, कर्म, सबमें व्यर्थ की अविद्या अर्थात् इनोसेंट। जब व्यर्थ की अविद्या होगी तब दिव्यता स्वत: और सहज अनुभव होगी इसलिए यह नहीं सोचो किपुरूषार्थ तो कर रहे हैं - लेकिन पुरूष बन इस रथ द्वारा कार्य कराओ। एक बार की गलती दुबारा रिपीट न हो।
स्लोगन: रूहानी गुलाब वह है जो कांटों के बीच में रहते भी न्यारेऔर प्यारे रहते हैं।
JAAG SAJANIYA JAAG - Baba Murli Song - Brahma Kumaris.
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Monday, August 27, 2012
मुरलि सार
28-08-12 प्रात:मुरली ओम् शान्त ''बापदादा'' मधुबन
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंपवित्र रहने का व्रत लेना है, बाकी निर्जल रखने, भूख-हड़ताल आदिकरने की जरूरत नहीं, पवित्र बनो तो विश्व का मालिक बन जायेंगे''
प्रश्न: इस समय दुनिया में सबसे अच्छे कौन हैं और कैसे?
उत्तर: इस दुनिया में इस समय सबसे अच्छे गरीब हैं क्योंकि गरीबों को ही बाप आकर मिलते हैं। साहूकारतो इस ज्ञान को सुनेंगे ही नहीं। बाप है ही गरीब निवाज़। गरीबों को ही साहूकार बनाते हैं।
गीत:- आज के इंसान को....
Video song: http:// www.youtube.com/ watch?v=Fv4TXyd4 L4U
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) नॉलेज को धारण करने के लिए दिल बड़ी साफ रखनी है। सच्ची दिल से बाप की सेवा में लगना है। सेवा में कभी भी थकना नहीं है।
2) वायदा करना है मेरा तो एक शिवबाबा, दूसरा न कोई। देह सहित देह के सब झूठे सम्बन्ध छोड़ एक से सर्व सम्बन्ध जोड़ने हैं। गरीबों को ज्ञान धन का दान देना है।
वरदान: स्नेह की उड़ान द्वारा समीपता का अनुभव करने वाले पास विद आनर भव
स्नेह की शक्ति से सभी बच्चे आगे बढ़ते जा रहे हैं। स्नेह की उड़ानतन से, मन से वा दिल से बाप के समीपलाती है। ज्ञान, योग, धारणा में यथाशक्ति नम्बरवार हैं लेकिन स्नेह में हर एक नम्बरवन हैं। स्नेह में सभी पास हैं। स्नेह का अर्थ ही है पास रहना और पास होना वा हर परिस्थिति को सहज ही पास कर लेना। ऐसे पास रहने वाले ही पास विद आनर बनते हैं।
स्लोगन: माया और प्रकृति के तूफानों में सेफ रहना है तो दिलतख्तनशीन बन जाओ। MURLI DAWNLOAD
Wednesday, August 22, 2012
Tuesday, August 21, 2012
Saturday, August 18, 2012
Friday, August 17, 2012
आप आत्मा है
आप आत्मा है शरीर नही मै मेरा शरीर यह आत्मा कहता है जेसै वाहन को चलाने वाला होता है क्मपिउटर को चलाने के लिए ओपरेटर कि जरुरत होता है वेसे ही आत्मा शरीर को चलाने वाला आत्मा है आत्मा का रुप ज्योर्तिबिन्दु समान है आत्मा की तीन सुक्ष्म शक्तिया है मन-बुद्धि-संस्कार मन का काम है सोचना बुद्धि का काम है निर्णय लैने आदि और संस्कार जो आदत होता है
Thursday, August 16, 2012
मुरलि सार
17/08/12 मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - समय बहुत थोड़ा है इसलिए रूहानी धन्धा करो, सबसे अच्छा धंधा है -
बाप और वर्से को याद करना, बाकी सबखोटे धन्धे हैं''
प्रश्न: तुम बच्चों के अन्दर कौनसी उत्कण्ठा होनी चाहिए?
उत्तर: कैसे हम बिगड़ी हुई आत्माओं को सुधारें, सभी को दु:ख से छुड़ाकर 21 जन्मों के लिए
सुख का रास्ता बतावें। सबको बाप का सच्चा-सच्चा परिचय दें - यह उत्कण्ठा तुम बच्चों में
होनी चाहिए।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बहुत-बहुत मीठा बनना है। क्रोधका अंश भी निकाल देना है। बाप समान रहमदिल बन
सर्विस पर तत्पर रहना है।
2) मौत सामने खड़ा है। वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए बाप को और वर्से को याद करना है।
भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल करना है।
वरदान: आकारी और निराकारी स्थिति के अभ्यास द्वारा हलचल में भी अचलरहने वाले बाप समान भव
जैसे साकार में रहना नेचुरल हो गया है, ऐसे ही मैं आकारी फरिश्ता हूँ और निराकारी श्रेष्ठ
आत्मा हूँ-यह दोनों स्मृतियां नेचुरल हो क्योंकि शिव बाप है निराकारी और ब्रह्मा बाप है आकारी।
अगर दोनों से प्यार है तो समान बनो। साकार में रहते अभ्यास करो - अभी-अभी आकारी
और अभी-अभी निराकारी। तो यह अभ्यास ही हलचल में अचल बना देगा।
स्लोगन: दिव्य गुणों की प्राप्ति होना ही सबसे श्रेष्ठ प्रभू प्रसाद है। MP3 MURLI
Wednesday, August 15, 2012
Brahmakumaris Murli: Murli [16-08-2012]-Hindi
Brahmakumaris Murli: Murli [16-08-2012]-Hindi: मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें बाप समान रूप बसन्त बनना है, ज्ञान योग को धारण कर फिर आसामी देखकर दान करना है'' प्रश्न: कौन सी रसम द्वा...
Tuesday, August 14, 2012
वास्तभ मे स्वतंत्रता क्या है
हम लोग वास्तव मे आभी भी स्वतंत्र नही हुए है हम लोग अंग्रजो से तो स्वतंत्र हो गय लेकिन वास्तव मै तो हम आभी भी अधिन है माय रावण के पाँचो विकारो काम क्रोद्ध लोभ मोह अहंकार के बस मे है स्वतंत्र होना है पाचो विकारो से एक विश्व के बापु परमात्मा हमे आजादि दिलाने आए है तो हमे आभी उनके पास जाना चाहिए
Friday, August 10, 2012
ब्रह्माकुमार भगवान भाई Brahma Kumaris: परमात्मा नाम से न्यारा नहीं है, उसका नाम न्यारा है...
ब्रह्माकुमार भगवान भाई Brahma Kumaris: परमात्मा नाम से न्यारा नहीं है, उसका नाम न्यारा है...: परमात्मा नाम से न्यारा नहीं है, उसका नाम न्यारा है। शिव परमात्मा का स्वकथित आलोकित नाम है। शिव का अर्थ है कल्याणकारी, बीज रूप, बिंदू, पर...
Thursday, August 9, 2012
मुरली
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंअपनी दैवी मीठी चलन से बाप का शो करना है, सबको बाप का परिचय दे,
वर्से का अधिकारी बनाना है''
प्रश्न: जो बच्चे देही-अभिमानी हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर: वह बहुत-बहुत मीठे लवली होंगे। वह श्रीमत पर एक्यूरेट चलेंगे। वह कभी किसी काम के लिए बहाना
नहीं बनायेंगे। सदा हाँ जी करेंगे। कभी ना नहीं करेंगे। जबकि देह-अभिमानी समझते यह काम करने से मेरी
इज्जत चली जायेगी। देही-अभिमानी सदा बाप के फरमान पर चलेंगे। बाप का पूरा रिगार्ड रखेंगे। कभी क्रोध
में आकर बाप की अवज्ञा नहीं करेंगे। उनका अपनी देह से लगाव नहीं होगा। शिवबाबा की याद से अपना
खाना आबाद करेंगे, बरबाद नहीं होने देंगे।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) फर्स्टक्लास ज्ञानी तू आत्माओं का संग करना है। देही-अभिमानी बनना है। देह-अभिमानियों
के संग से दूर रहना है।
2) यज्ञ की बहुत प्यार से, सच्चे दिल से सम्भाल करनी है। बहुत लवलीमीठा बनना है।
सपूत बनकर दिखाना है। कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।
वरदान: अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाले विघ्न विनाशक भव
विघ्न-विनाशक वही बन सकते जिनमें सर्वशक्तियां हों। तो सदा ये नशा रखो कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान्हूँ।
सर्व शक्तियों को समय पर कार्य में लगाओ। कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप नॉलेजफुल बनो। बाप
के हाथ और साथ का अनुभव करते हुए कम्बाइन्ड रूप में रहो। रोज़ अमृतवेले विजय का तिलक स्मृति में लाओ।
अनुभव करो कि बापदादा की दुआओं काहाथ मेरे मस्तक पर है तो विघ्न-विनाशक बन सदा निश्चिंत रहेंगे।
स्लोगन: सेवा द्वारा अविनाशी खुशी की अनुभूति करने और कराने वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं।
मुरली परमात्मा का महा वाक्य
Today ) - 9-08-12 Hindi
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंअपनी दैवी मीठी चलन से बाप का शो करना है, सबको बाप का परिचय दे, वर्से का अधिकारी बनाना है''
प्रश्न: जो बच्चे देही-अभिमानी हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर: वह बहुत-बहुत मीठे लवली होंगे। वह श्रीमत पर एक्यूरेट चलेंगे। वह कभी किसी काम के लिए बहाना नहीं बनायेंगे। सदा हाँ जी करेंगे। कभी ना नहीं करेंगे। जबकि देह-अभिमानी समझते यह काम करने से मेरी इज्जत चली जायेगी। देही-अभिमानी सदा बाप के फरमान परच लेंगे। बाप का पूरा रिगार्ड रखेंगे। कभी क्रोध में आकर बाप कीअवज्ञा नहीं करेंगे। उनका अपनी देह से लगाव नहीं होगा। शिवबाबा की याद से अपना खाना आबाद करेंगे, बरबाद नहीं होने देंगे।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) फर्स्टक्लास ज्ञानी तू आत्माओं का संग करना है। देही-अभिमानी बनना है। देह-अभिमानियों के संग से दूर रहना है।
2) यज्ञ की बहुत प्यार से, सच्चे दिल से सम्भाल करनी है। बहुत लवलीमीठा बनना है। सपूत बनकर दिखाना है। कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।
वरदान: अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाले विघ्न विनाशक भव
विघ्न-विनाशक वही बन सकते जिनमें सर्वशक्तियां हों। तो सदा ये नशा रखो कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान्हूँ। सर्व शक्तियों को समय पर कार्य में लगाओ। कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप नॉलेजफुल बनो। बाप के हाथ और साथ का अनुभव करते हुए कम्बाइन्ड रूप में रहो। रोज़ अमृतवेले विजय का तिलक स्मृति में लाओ। अनुभव करो कि बापदादा कीदुआओं का हाथ मेरे मस्तक पर है तो विघ्न-विनाशक बन सदा निश्चिंत रहेंगे।
परमात्म ज्ञान
मीठे बच्चे मे तुम्हारा पिता परमात्मा हु तुम मेरे अति प्यारे सकिलद्धे बच्चे हो मै जेसा हु वेसे मुझ परमात्मा को याद करोगे तो तुम्हारा जन्म जन्मांतार के बिकर्म बिनाश हो जाएगेँ और मुक्ति जीवन्मुक्ति का रासता बातलाउगां मेरा रुप ज्योर्तिबिन्दु स्वरुप है तुम भी रुप मै बिन्दु हो मै जन्म मरण के चक्र मे नही आता हु तुम जन्म मरण मे आते हो ईसलिए मै परमात्मा कहलाता हु और तुम आत्मा तो मीठे बच्चो मेरे ज्ञान का सार है मनमना भव अर्थ परमात्मा को याद करना
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