Sunday, September 16, 2012

अव्यक्त मुरलि 16/09/12

16-09-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति '' अव्यक्त-बापदादा '' रिवाइज: 10.09.75 मधुबन नोलेजफुल और पावरफुल आत्मा ही सक्सेसफुल सदा हर स्थिति में मास्टर नोलेजफुल, पावरफुल और सक्सेसफुलस्वयं को अनुभव करते हो? क्योंकि नोलेजफुलऔर पावरफुल आत्मा की रिजल्ट है सक्सेसफुल| वर्तमान समय इन दोनों सब्जेक्ट्स यादअर्थात पावरफुल और ज्ञान अर्थात नोलेज- इन दोनों सब्जेक्ट्स का ऑब्जेक्ट (उदेश्य) है सक्सेसफुल | इसी कोही प्रत्यक्ष फल कहा जाता है | इस समय का प्रत्यक्ष फल आपके भविष्य फल को प्रख्यात करेगा | ऐसे नहीं कि भविष्य फल के आधार पर अब के प्रत्यक्ष फल को अनुभव करने से वंचित रह जाओ | ऐसे कभी भी संकल्प नहीं करना कि वर्तमान में कुछ दिखाई नै देता है न अनुभव नहीं होता है व प्राप्ति नहीं होती है | यह पढ़ाई तो है हीभविष्य की | भविष्य मेरा बहुत उज्ज्वल है| अभी मैं गुप्त हौं, अन्त में प्रख्यात होजाऊंगा लेकिन भविष्य की झलक, भविष्य की प्रालब्ध व अन्तिम समय पर प्रसिद्ध होनेवाली आत्मा की चमक अब से सर्व को अनुभव होनी चाहिए इसलिए पहले प्रत्यक्ष फल औरसाथ में भविष्य फल | प्रत्यक्ष फल नहीं तोभविष्य फल भी नहीं | स्वयं को स्वयं प्रत्यक्ष नहीं करे लेकिन उनका सम्पर्क, स्नेह और सहयोग ऐसी आत्मा को स्वत: ही प्रसिद्ध कर देते है | यह ईश्वरीय ला (नियम) है कि स्वयं को किसी भी प्रकार से सिद्धकरने वाला कभी भी प्रसिद्ध नहीं हो सकता इसलिए यह संकल्पकि मैं स्वयं को जनता हौं कि मैं ठीक हूँ, दूसरे नहीं जानते व दूसरे नहीं पहचानते, आखिर पहचान ही लेंगे व आगे चलकर देखना क्या होता है? यह भी ज्ञान स्वरूप, याद स्वरूप आत्मा के लिए स्वयं को धोखा देने वाले अलबेलेपन की मीठी निद्रा है | ऐसे अल्पकाल का आराम देनेवाली व अल्प काल के लिए अपने दिल को दिलासा देने वाली माया की निद्रा के अनेक प्रकार है | जिस भी बातों में अपनी प्रालब्ध को व प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति को खोते हो तो अवश्य अनेक प्रकारकी निद्रा में सोते हो इसलिए कहावत है जिन सोया तिन खोया | तो खोना ही सोना है | ऐसे कभी भी समय पर सफलता पा नहीं सकते अर्थात सक्सेसफुल नहीं बन सकते | सारे कल्प के अंदर सिर्फ इस संगम युग को ड्रामा प्लेन अनुसार वरदान है- कौन सा? संगमयुग को कौनसा वरदान है? प्रत्यक्ष फल का वरदान सिर्फ संगमयुग को है | अभी-अभी देना, अभी-अभीमिलना| पहले देखते हो फिर करते हो, पक्के सौदागर हो | संगमयुग की विशेषता है कि इस युग में ही बाप भी प्रत्यक्ष होते है, ऊंच ते ऊंच ब्राह्मण भी प्रत्यक्ष होते है| आप सबके 84 जन्मों की कहानी भी प्रत्यक्ष होती है | श्रेष्ठ नोलेज भी प्रत्यक्ष होती है | इस कारण ही प्रत्यक्षफल मिलता है | प्रत्यक्ष फल का अनुभव कर रहे हो? प्रत्यक्ष फल प्राप्तहोते समय भविष्य फल को सोचता रहे ऐसी आत्मा को कौन-सी आत्मा कहेगे? ऐसी आत्मा को मास्टर नोलेजफुल कहेगें या यह भी एक अज्ञान है ? किसी भी प्रकार अज्ञान नींद में सोयेहुए तो नहीं हो? सदा जागती-ज्योति बनेतो ? जागने की निशनी है जागना अर्थात पाना| तो सर्व प्राप्ति करने वाले सदा जागती-ज्योति हो? सदा जागती-ज्योति बनने केलिए मुख्य कौनसी धारणा है, जानते हो? जो साकार बाप में विशेष थी-वह बताओ? साकार बाप की विशेष धारणा क्या थी? जागती-ज्योति बनने केलिए मुख्य धारणा चाहिए अथक बनने की | जब थकावट होती है तो नींद आती है | साकार बाप में अथक-पं की विशेषता सदा अनुभव की| ऐसे फोलो फादर करने वाले सदा जागती-ज्योति बनते है | यह भी चेक करो कि चलते-चलते कोई भी प्रकार की थकावट अज्ञान की नींद में सुला तो नहीं देती? इसीलिए कल्प पहले की यादगार में भी निंद्राजीत बनने का विशेष गुण गाया हुआ है | अनेक प्रकार की निंद्रा से निंद्रा जीत बनो | यह भी लिस्ट निकालना कि किस-किस प्रकार की निद्रा निद्राजीत बनने नहीं देती | जैसे निद्रा में जाने से पहले निद्रा की निशानियाँ दिखाई देती है उस नींद की निशानी है उबासी और अज्ञान नींदकी निशानी है उदासी | इसी प्रकार निशानियाँभी निकालना | इसकी दो मुख्य बाते है – एक आलस्य, दूसरा अलबेलापन | पहले यह निशानियाँ आती है फिरनींद का नशा चढ़ जाता है | इसलिए इस पर अच्छी तरह से चेकिंग करना |चेकिंग के साथ साथ चेंज करना | सिर्फचेकिंग नहीं करना-चेकिंग और चेंज दोनों ही करना | समझा? अच्छा ! ऐसे स्वयं के परिवर्तन द्वारा विश्व को परिवर्तन करने वाले, बाप समान सदा अथक, हर संकल्प, बोल और कर्म का प्रत्यक्ष फल अनुभव करने वाले, सर्व प्राप्ति स्वरूप विशेष आत्माओं को बाप-दादा का याद प्यार और नमस्ते |

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