Thursday, September 6, 2012
राजयोग प्रदर्शनी
मनुष्य अपने जीवन में कईपहेलियाँ हल करते है और उसके फलस्वरूप इनाम पते है | परन्तु इस छोटी-सी पहेली का हल कोई नहीं जानता कि – “मैं कौन हूँ?” यों तो हर-एक मनुष्य सारा दिन “मैं...मैं ...” कहता ही रहता है, परन्तु यदि उससे पूछा जाय कि “मैं” कहने वाला कौन है? तो वह कहेगा कि--- “मैं कृष्णचन्द हूँ... या ‘मैं लालचन्द हूँ” | परन्तु सोचा जाय तो वास्तव में यह तो शरीर का नाम है, शरीर तो ‘मेरा’ है, ‘मैं’ तो शरीर से अलग हूँ | बस, इस छोटी-सी पहेली का प्रेक्टिकल हल न जानने के कारण, अर्थात स्वयं को न जानने के कारण, आज सभी मनुष्य देह-अभिमानीहै और सभी काम, क्रोधादि विकारों के वश है तथा दुखी है |
अब परमपिता परमात्मा कहते है कि—“आज मनुष्यमें घमण्ड तो इतना है किवह समझता है कि—“मैं सेठ हूँ, स्वामी हूँ, अफसर हूँ....,” परन्तु उस में अज्ञान इतना है कि वह स्वयं को भी नहीं जानता | “मैं कौन हूँ, यहसृष्टि रूपी खेल आदि से अन्त तक कैसे बना हुआ है,मैं इस में कहाँ से आया, कब आया, कैसे आया, कैसे सुख- शान्ति का राज्य गंवाया तथा परमप्रिय परमपिता परमात्मा (इस सृष्टि के रचयिता) कौन है?” इन रहस्यों को कोई भी नहीं जानता | अब जीवन कि इस पहेली (Puzzle of life) को फिर से जानकर मनुष्य देही-अभिमानी बनसकता है और फिर उसके फलस्वरूप नर को श्री नारायण और नारी को श्री लक्ष्मी पद की प्राप्ति होती है और मनुष्य को मुक्ति तथा जीवनमुक्ति मिल जाती है | वह सम्पूर्ण पवित्रता, सुख एवं शान्ति को पा लेता है |
जब कोई मनुष्य दुखी और अशान्त होता है तो वह प्रभु ही से पुकार कर सकता है- “हे दुःख हर्ता, सुख-कर्ता, शान्ति-दाता प्रभु, मुझे शान्ति दो |” विकारों के वशीभूत हुआ-हुआ मुशी पवित्रता के लिए भी परमात्मा की ही आरती करते हुए कहता है- “विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा !” अथवा “हेप्रभु जी, हम सब को शुद्धताई दीजिए, दूर करके हर बुराई को भलाई दीजिए |” परन्तु परमपिता परमात्मा विकारों तथा बुराइयों को दूर करने के लिए जो ईश्वरीय ज्ञान देते है तथा जो सहज राजयोग सिखाते है, प्राय: मनुष्य उससे अपरिचित है और वे इनको व्यवहारिक रूप में धारण भी नहीं करते | परमपिता परमात्मा तो हमारा पथ-प्रदर्शन करते है और हमे सहायता भी देते है परन्तु पुरुषार्थ तो हमे स्वत: ही करना होगा, तभी तो हम जीवन में सच्चा सुख तथा सच्ची शान्ति प्राप्त करेंगे और श्रेष्ठाचारी बनेगे|
आगे परमपिता परमात्मा द्वारा उद्घाटित ज्ञान एवं सहज राजयोग अ पथ प्रशस्त किया गया है इसेचित्र में भी अंकित क्यागया है तथा साथ-साथ हर चित्र की लिखित व्याख्या भी दी गयी है ताकि ये रहस्य बुद्धिमय हो जायें | इन्हें पढ़नेसे आपको बहुत-से नये ज्ञान-रत्न मिलेंगे | अबप्रैक्टिकल रीति से राजयोग का अभ्यास सीखने तथा जीवन दिव्य बनाने केलिए आप इस प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व-विधालय के किसी भी सेवा-केन्द्र पर पधार कर नि:शुल्क ही लाभउठावें |
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