
Friday, August 31, 2012
murli

मु रली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें बेहद का समाचार सुनाते हैं, तुम अभी स्वदर्शन चक्रधारी बने हो, तुम्हें 84 जन्मों की स्मृति में रहना है और सबको यह स्मृति दिलानी है'' प्रश्न: शिवबाबा का पहला बच्चा ब्रह्मा को कहेंगे, विष्णु को नहीं - क्यों? उत्तर: क्योंकि शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण सम्प्रदाय रचते हैं। अगर विष्णु को बच्चा कहें तोउनसे भी सम्प्रदाय पैदा होनी चाहिए। परन्तु उनसे कोई सम्प्रदाय होती नहीं। विष्णु को कोई मम्मा बाबा भी नहीं कहेंगे। वह जब लक्ष्मी-नारायण के रूप में महाराजा महारानी हैं, तो उनको अपना बच्चा ही मम्मा बाबा कहते। ब्रह्मा से तो ब्राह्मण सम्प्रदाय पैदा होतेहैं। गीत:- तुम्हीं हो माता पिता...धारणा के लिए मुख्य सार: 1) ऊंची कमाई करने के लिए बुद्धि का योग और सबसे तोड़ एक बाप से जोड़ना है। सच्चे बाप को याद कर सचखण्ड का मालिक बनना है। 2) जैसे ब्रह्मा बाप ज्ञान को धारण कर सम्पूर्ण बनते हैं ऐसे हीबाप समान सम्पूर्ण बनना है। वरदान: ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल सबूत देने वाले सपूत और समान भव यदि कहते हो कि ब्रह्मा बाप से हमारा बहुत प्यार है तो प्यार की निशानी है जिससे बाप का प्यार रहाउससे प्यार हो। जो भी कर्म करो, कर्म के पहले, बोल के पहले, संकल्प के पहले चेक करो कि यह ब्रह्मा बाप को प्रिय है? ब्रह्मा बाप की विशेषता विशेष यही रही-जो सोचा वहकिया, जो कहा वहकिया। आपोजीशन होते भी सदा अपनी पोजीशन पर सेट रहे, तो प्यार का प्रैक्टिकल सबूतदेना अर्थात् फालो फादर कर सपूत और समान बनना। स्लोगन: खुशनसीब आत्मा वह है जिसके संकल्प में भी दु:ख की लहर नहीं आती। |
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Thursday, August 30, 2012
Wednesday, August 29, 2012
MURLI
30-08-12 Hindi
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम इस बेहद लीला रूपी नाटक को जानते हो, तुम हो हीरो पार्टधारी तुम्हें बाप ने आकर अभी जागृत किया है''
प्रश्न: बाप का फरमान कौन सा है? जिसे पालन करने से विकारों की पीड़ा से बच सकते हैं?
उत्तर: बाप का फरमान है - पहले 7 रोज़ भट्ठी में बैठो। तुम बच्चों के पास जब कोई आत्मा 5 विकारों से पीड़ित आती है तो उसे बोलो कि 7 रोज़ का टाइम चाहिए। कम से कम 7 रोज़दो तो तुम्हें हम समझायें कि 5 विकारों की बीमारी कैसे दूर हो सकती है। जास्ती प्रश्न-उत्तर करने वालों को तुम बोल सकते हो कि पहले 7 रोज़ का कोर्स करो।
गीत:- ओम् नमो शिवाए....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है। ड्रामा को साक्षी हो देखना है। कभी भी अपना रजिस्टर खराब नहीं करना है।
2) कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने केलिए याद में रहने का पूरा पुरूषार्थ करना है। सच्चे दिल से बाप को याद करना है। अपनी स्थिति का टैम्प्रेचर अपने आप देखना है।
वरदान: हर सेकण्ड, हर खजाने को सफलकर सफलता की खुशी अनुभव करने वालेसफलतामूर्त भव
सफलता मूर्त बनने का विशेष साधन है-हर सेकण्ड को, हर श्वांस को, हर खजाने को सफल करना। यदि संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सर्व प्रकार की सफलता का अनुभव करना चाहते हो तो सफल करते जाओ, व्यर्थ नहीं जाये। चाहे स्व के प्रति सफल करो, चाहे और आत्माओं के प्रति सफल करो तो आटोमेटिकली सफलता की खुशी अनुभव करते रहेंगे क्योंकि सफल करना अर्थात् वर्तमान में सफलता प्राप्त करना और भविष्य के लिए जमा करना।
स्लोगन: जब संकल्प में भी कोई आकर्षण आकर्षित न करे तब कहेंगे सम्पूर्णता की समीपता।
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BRAHMAKUMARIES: राजयोग प्रदर्शनी
BK STUDY POINT BRAHMAKUMARIES: राजयोग प्रदर्शनी: मनुष्य अपने जीवन में कई पहेलियाँ हल करते है और उसके फलस्वरूप इनाम पते है | परन्तु इस छोटी-सी पहेली का हल कोई नहीं जानता कि – “मैं कौन हूँ...
Tuesday, August 28, 2012
मुरलि सार
Monday, August 27, 2012
मुरलि सार
28-08-12 प्रात:मुरली ओम् शान्त ''बापदादा'' मधुबन
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंपवित्र रहने का व्रत लेना है, बाकी निर्जल रखने, भूख-हड़ताल आदिकरने की जरूरत नहीं, पवित्र बनो तो विश्व का मालिक बन जायेंगे''
प्रश्न: इस समय दुनिया में सबसे अच्छे कौन हैं और कैसे?
उत्तर: इस दुनिया में इस समय सबसे अच्छे गरीब हैं क्योंकि गरीबों को ही बाप आकर मिलते हैं। साहूकारतो इस ज्ञान को सुनेंगे ही नहीं। बाप है ही गरीब निवाज़। गरीबों को ही साहूकार बनाते हैं।
गीत:- आज के इंसान को....
Video song: http:// www.youtube.com/ watch?v=Fv4TXyd4 L4U
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) नॉलेज को धारण करने के लिए दिल बड़ी साफ रखनी है। सच्ची दिल से बाप की सेवा में लगना है। सेवा में कभी भी थकना नहीं है।
2) वायदा करना है मेरा तो एक शिवबाबा, दूसरा न कोई। देह सहित देह के सब झूठे सम्बन्ध छोड़ एक से सर्व सम्बन्ध जोड़ने हैं। गरीबों को ज्ञान धन का दान देना है।
वरदान: स्नेह की उड़ान द्वारा समीपता का अनुभव करने वाले पास विद आनर भव
स्नेह की शक्ति से सभी बच्चे आगे बढ़ते जा रहे हैं। स्नेह की उड़ानतन से, मन से वा दिल से बाप के समीपलाती है। ज्ञान, योग, धारणा में यथाशक्ति नम्बरवार हैं लेकिन स्नेह में हर एक नम्बरवन हैं। स्नेह में सभी पास हैं। स्नेह का अर्थ ही है पास रहना और पास होना वा हर परिस्थिति को सहज ही पास कर लेना। ऐसे पास रहने वाले ही पास विद आनर बनते हैं।
स्लोगन: माया और प्रकृति के तूफानों में सेफ रहना है तो दिलतख्तनशीन बन जाओ। MURLI DAWNLOAD
Wednesday, August 22, 2012
Tuesday, August 21, 2012
Saturday, August 18, 2012
Friday, August 17, 2012
आप आत्मा है
Thursday, August 16, 2012
मुरलि सार
17/08/12 मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - समय बहुत थोड़ा है इसलिए रूहानी धन्धा करो, सबसे अच्छा धंधा है -
बाप और वर्से को याद करना, बाकी सबखोटे धन्धे हैं''
प्रश्न: तुम बच्चों के अन्दर कौनसी उत्कण्ठा होनी चाहिए?
उत्तर: कैसे हम बिगड़ी हुई आत्माओं को सुधारें, सभी को दु:ख से छुड़ाकर 21 जन्मों के लिए
सुख का रास्ता बतावें। सबको बाप का सच्चा-सच्चा परिचय दें - यह उत्कण्ठा तुम बच्चों में
होनी चाहिए।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बहुत-बहुत मीठा बनना है। क्रोधका अंश भी निकाल देना है। बाप समान रहमदिल बन
सर्विस पर तत्पर रहना है।
2) मौत सामने खड़ा है। वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए बाप को और वर्से को याद करना है।
भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल करना है।
वरदान: आकारी और निराकारी स्थिति के अभ्यास द्वारा हलचल में भी अचलरहने वाले बाप समान भव
जैसे साकार में रहना नेचुरल हो गया है, ऐसे ही मैं आकारी फरिश्ता हूँ और निराकारी श्रेष्ठ
आत्मा हूँ-यह दोनों स्मृतियां नेचुरल हो क्योंकि शिव बाप है निराकारी और ब्रह्मा बाप है आकारी।
अगर दोनों से प्यार है तो समान बनो। साकार में रहते अभ्यास करो - अभी-अभी आकारी
और अभी-अभी निराकारी। तो यह अभ्यास ही हलचल में अचल बना देगा।
स्लोगन: दिव्य गुणों की प्राप्ति होना ही सबसे श्रेष्ठ प्रभू प्रसाद है। MP3 MURLI
Wednesday, August 15, 2012
Brahmakumaris Murli: Murli [16-08-2012]-Hindi
Brahmakumaris Murli: Murli [16-08-2012]-Hindi: मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें बाप समान रूप बसन्त बनना है, ज्ञान योग को धारण कर फिर आसामी देखकर दान करना है'' प्रश्न: कौन सी रसम द्वा...
Tuesday, August 14, 2012
वास्तभ मे स्वतंत्रता क्या है
हम लोग वास्तव मे आभी भी स्वतंत्र नही हुए है हम लोग अंग्रजो से तो स्वतंत्र हो गय लेकिन वास्तव मै तो हम आभी भी अधिन है माय रावण के पाँचो विकारो काम क्रोद्ध लोभ मोह अहंकार के बस मे है स्वतंत्र होना है पाचो विकारो से एक विश्व के बापु परमात्मा हमे आजादि दिलाने आए है तो हमे आभी उनके पास जाना चाहिए
Friday, August 10, 2012
ब्रह्माकुमार भगवान भाई Brahma Kumaris: परमात्मा नाम से न्यारा नहीं है, उसका नाम न्यारा है...
ब्रह्माकुमार भगवान भाई Brahma Kumaris: परमात्मा नाम से न्यारा नहीं है, उसका नाम न्यारा है...: परमात्मा नाम से न्यारा नहीं है, उसका नाम न्यारा है। शिव परमात्मा का स्वकथित आलोकित नाम है। शिव का अर्थ है कल्याणकारी, बीज रूप, बिंदू, पर...
Thursday, August 9, 2012
मुरली
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंअपनी दैवी मीठी चलन से बाप का शो करना है, सबको बाप का परिचय दे,
वर्से का अधिकारी बनाना है''
प्रश्न: जो बच्चे देही-अभिमानी हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर: वह बहुत-बहुत मीठे लवली होंगे। वह श्रीमत पर एक्यूरेट चलेंगे। वह कभी किसी काम के लिए बहाना
नहीं बनायेंगे। सदा हाँ जी करेंगे। कभी ना नहीं करेंगे। जबकि देह-अभिमानी समझते यह काम करने से मेरी
इज्जत चली जायेगी। देही-अभिमानी सदा बाप के फरमान पर चलेंगे। बाप का पूरा रिगार्ड रखेंगे। कभी क्रोध
में आकर बाप की अवज्ञा नहीं करेंगे। उनका अपनी देह से लगाव नहीं होगा। शिवबाबा की याद से अपना
खाना आबाद करेंगे, बरबाद नहीं होने देंगे।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) फर्स्टक्लास ज्ञानी तू आत्माओं का संग करना है। देही-अभिमानी बनना है। देह-अभिमानियों
के संग से दूर रहना है।
2) यज्ञ की बहुत प्यार से, सच्चे दिल से सम्भाल करनी है। बहुत लवलीमीठा बनना है।
सपूत बनकर दिखाना है। कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।
वरदान: अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाले विघ्न विनाशक भव
विघ्न-विनाशक वही बन सकते जिनमें सर्वशक्तियां हों। तो सदा ये नशा रखो कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान्हूँ।
सर्व शक्तियों को समय पर कार्य में लगाओ। कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप नॉलेजफुल बनो। बाप
के हाथ और साथ का अनुभव करते हुए कम्बाइन्ड रूप में रहो। रोज़ अमृतवेले विजय का तिलक स्मृति में लाओ।
अनुभव करो कि बापदादा की दुआओं काहाथ मेरे मस्तक पर है तो विघ्न-विनाशक बन सदा निश्चिंत रहेंगे।
स्लोगन: सेवा द्वारा अविनाशी खुशी की अनुभूति करने और कराने वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं।
मुरली परमात्मा का महा वाक्य
Today ) - 9-08-12 Hindi
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हेंअपनी दैवी मीठी चलन से बाप का शो करना है, सबको बाप का परिचय दे, वर्से का अधिकारी बनाना है''
प्रश्न: जो बच्चे देही-अभिमानी हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर: वह बहुत-बहुत मीठे लवली होंगे। वह श्रीमत पर एक्यूरेट चलेंगे। वह कभी किसी काम के लिए बहाना नहीं बनायेंगे। सदा हाँ जी करेंगे। कभी ना नहीं करेंगे। जबकि देह-अभिमानी समझते यह काम करने से मेरी इज्जत चली जायेगी। देही-अभिमानी सदा बाप के फरमान परच लेंगे। बाप का पूरा रिगार्ड रखेंगे। कभी क्रोध में आकर बाप कीअवज्ञा नहीं करेंगे। उनका अपनी देह से लगाव नहीं होगा। शिवबाबा की याद से अपना खाना आबाद करेंगे, बरबाद नहीं होने देंगे।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) फर्स्टक्लास ज्ञानी तू आत्माओं का संग करना है। देही-अभिमानी बनना है। देह-अभिमानियों के संग से दूर रहना है।
2) यज्ञ की बहुत प्यार से, सच्चे दिल से सम्भाल करनी है। बहुत लवलीमीठा बनना है। सपूत बनकर दिखाना है। कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।
वरदान: अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाले विघ्न विनाशक भव
विघ्न-विनाशक वही बन सकते जिनमें सर्वशक्तियां हों। तो सदा ये नशा रखो कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान्हूँ। सर्व शक्तियों को समय पर कार्य में लगाओ। कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप नॉलेजफुल बनो। बाप के हाथ और साथ का अनुभव करते हुए कम्बाइन्ड रूप में रहो। रोज़ अमृतवेले विजय का तिलक स्मृति में लाओ। अनुभव करो कि बापदादा कीदुआओं का हाथ मेरे मस्तक पर है तो विघ्न-विनाशक बन सदा निश्चिंत रहेंगे।
परमात्म ज्ञान
मीठे बच्चे मे तुम्हारा पिता परमात्मा हु तुम मेरे अति प्यारे सकिलद्धे बच्चे हो मै जेसा हु वेसे मुझ परमात्मा को याद करोगे तो तुम्हारा जन्म जन्मांतार के बिकर्म बिनाश हो जाएगेँ और मुक्ति जीवन्मुक्ति का रासता बातलाउगां मेरा रुप ज्योर्तिबिन्दु स्वरुप है तुम भी रुप मै बिन्दु हो मै जन्म मरण के चक्र मे नही आता हु तुम जन्म मरण मे आते हो ईसलिए मै परमात्मा कहलाता हु और तुम आत्मा तो मीठे बच्चो मेरे ज्ञान का सार है मनमना भव अर्थ परमात्मा को याद करना
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